Header Ads

Header Ads

Amrit vani “अमृत वाणी” (Jain Muni)


आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती

काम के अंधे को विवेक नहीं दिखते

मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखती

और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता


No comments:

Powered by Blogger.